sarfaroshi ki tamanna | सरफरोशी की तमन्ना

 
भारत के महान क्रान्तिकारी व अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी
राम प्रसाद 'बिस्मिल' Ram Prasad Bismil


करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।

रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह में
लज्जत-ऐ-सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है ।

यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बार
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ।

ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है ।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।

खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींद,
आशिकों का जमघट आज कूंचे-ऐ-कातिल में है ।

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।

3 comments:

  1. सरफरोशी की तमन्ना
    ...
    जोश और जूनून से भरपूर !
    बहुत खूब !!

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  2. hello everyone who read this song. i really love this from my childhood but today read the complete version of this song. it fills you with a feeling to do something great in life

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